लेखांकन का उदगम एवं विकास (Evolution and Development of Accounting)
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“पुस्तपालन एवं लेखाकर्म” धन के इतिहास से सम्बन्धित है। बेबीलोनियन तथा वैदिक सभ्यता काल में वित्तीय लेखांकन का चलन था किन्तु दोहरा लेखा प्रणाली (Double Entry System) वाला लेखांकन सर्वप्रथम इटली में प्रारंभ हुआ। भारत में लेखांकन 2300 शताब्दी में कौटिल्य के समय से प्रचलित है। कौटिल्य चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य के महामंत्री थे और उन्होंने ही ‘अ’र्थशास्त्र’ नामक पुस्तक लिखी थी।
पुस्तपालन के जन्मदाता “लूकास पेसियोली (Lucas Pacioli)”
लूकास पेसियोली (Lucas Pacioli) को पुस्तपालन (Book-Keeping) का जन्मदाता कहा जाता है। 1494 ई० में इटली के वेनिस नगर में लूकास पेसियोली की पुस्तक सुमा-डे-अरिथमट्रिका, जयो मेट्रिका, परप्रोपोरशन प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में आज के लेखांकन में सबसे ज्यादा प्रचलित शब्द डेबिट (Dr.) तथा क्रेडिट (Cr.) का उपयोग हुआ था। इस पुस्तक में मेमोरैण्डम, जर्नल, लेजर तथा विशिष्ट लेखांकन तरीके का विस्तृत वर्णन किया गया था।
Evolution and Development of Accounting : दोहरा लेखा प्रणाली को समझाते हुए इस पुस्तक में लिखा गया है कि सभी Entries को दो बार लिखा जाता है :- जैसे – यदि आप एक लेनदार बनाते हैं तो आपको एक देनदार बनाना होगा। लूकास पेसियोली के पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद हग ओल्ड कैसल (Hugh Old Cassel) ने 1543 ई० में किया था। इटैलियन प्रणाली के पूर्व जो पुस्तपालन प्रचलित थी, उसे एजेंसी बुक कीपिंग (Agency Book-Keeping) कहा जाता था।
इटैलियन प्रणाली का चलन जब इंग्लैंड में होने लगा तब एजेंसी बुक कीपिंग (Agency Book-Keeping) का प्रयोग करना बंद कर दिया गया। 16 वी० शताब्दी में पुस्तपालन की बहुत सारी पुस्तकें प्रकाशित की गयी।
17 वी० शताब्दी में बुक-कीपिंग का इटैलियन प्रणाली में कई सुधार किये गए हैं। जर्नल एवं लेजर में प्रयोग होने वाले शब्दों (De Dare या Shall या Give) के जगह लेजर खाते के Left Side के लिए Dr. (Debtor) का प्रयोग किया जाने लगा। 19वी० शताब्दी के औधोगिक क्रांति के फलस्वरूप बुक-कीपिंग (Book-Keeping) को एकाउंटेंसी (Accountancy) के रूप में विकसित होने का मौका मिला।
इसके बाद लागत लेखाकर्म (Cost Accountancy), प्रबंधकीय लेखांकन (Management Accounting), मानव संसाधन लेखांकन (Human Resource Accounting) इत्यादि का जन्म हुआ। उसके बाद बाह्य अंकेक्षण (External Auditing) का प्रचलन हुआ।
पुस्तपालन → लेखाकर्म → अंकेक्षण
आज दोहरा लेखा प्रणाली (Double Entry System) का प्रचलन पुरे विश्व में है और इसे पुस्तपालन की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली माना जाता है।
Fast Revision
- दोहरा लेखा प्रणाली (Double Entry System) वाला लेखांकन सर्वप्रथम इटली में प्रारंभ हुआ।
- भारत में लेखांकन 2300 शताब्दी में कौटिल्य के समय से प्रचलित है।
- लूकास पेसियोली (Lucas Pacioli) को पुस्तपालन (Book-Keeping) का जन्मदाता कहा जाता है।
- लूकास पेसियोली के पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद हग ओल्ड कैसल (Hugh Old Cassel) ने 1543 ई० में किया था।
- इटैलियन प्रणाली के पूर्व जो पुस्तपालन प्रचलित थी, उसे एजेंसी बुक कीपिंग (Agency Book-Keeping) कहा जाता था।
- 19वी० शताब्दी के औधोगिक क्रांति के फलस्वरूप बुक-कीपिंग (Book-Keeping) को एकाउंटेंसी (Accountancy) के रूप में विकसित होने का मौका मिला।
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